राधे कृष्ण, नाम ही मोहक है। इन दोनों नामों का उच्चारण करते ही मन शांत हो जाता है। राधा कृष्ण की जोड़ी प्रेम का प्रतीक है। उनकी भक्ति में डूबे हुए हर भक्त को एक अद्भुत शांति मिलती है। इस ब्लॉग में हम राधे कृष्ण के भजनों में से एक, ‘राधे कृष्ण की ज्योति’ के गीतों को विस्तार से समझेंगे। इस भजन के बोलों में छिपे हुए अर्थ को समझने का प्रयास करेंगे और यह भी जानेंगे कि कैसे यह भजन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
Radhe Krishna Ki Jyoti – Bhajan Lyrics | राधे कृष्णा की ज्योति | (हिन्दी)
राधे कृष्णा की ज्योति अलौकिक तीनो लोक में छ्चाए रही है
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारीं फिर भी डीप जलाए रही है
कृष्णा को गोकुल से राधे को
कृष्णा को गोकुल से राधे को
बरसाने से बुलाए रही है
दोनो करो स्वीकार कृपा कर जोगन आरती गाए रही है
दोनो करो स्वीकार कृपा कर जोगन आरती गाए रही है
भोर भाए ती सांज ढले तक सेवा कौन इतने महाँारो
स्नान कराए वो वस्त्रा ओढ़ाए वो भोग लगाए वो लागत प्यारो
काबसे निहारत आपकी और, काबसे निहारत आपकी और, की आप हमारी और निहारों
राधे कृष्णा हमारे धाम को जानी वृंदावन धाम पधारो
राधे कृष्णा हमारे धाम को जानी वृंदावन धाम पधारो
राधे कृष्णा की ज्योति अलौकिक तीनो लोक में छ्चाए रही है
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारीं फिर भी डीप जलाए रही है
कृष्णा को गोकुल से राधे को
कृष्णा को गोकुल से राधे को
बरसाने से बुलाए रही है
निष्कर्ष
अंत में, हम कह सकते हैं कि ‘राधे कृष्ण की ज्योति’ भजन सिर्फ एक गीत नहीं है बल्कि यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस भजन के बोलों में छिपा हुआ ज्ञान हमें जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने की शक्ति देता है। राधे कृष्ण की कृपा से हम सभी को सुख और शांति प्राप्त हो।