Jai Ambe Gauri – Bhajan Lyrics | जय अंबे गौरी
“जय अम्बे गौरी, मैया जय मंगल मूर्ति” एक प्रसिद्ध हिंदी भक्ति गान है जो देवी अम्बा, जो कि दुर्गा या पार्वती के रूप में जानी जाती है, को समर्पित है। ये गाना अक्सर धार्मिक उपकरण और त्योहारों में गाया जाता है, देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए। इस गण में देवी की दिव्य स्त्री शक्ति के प्रति प्रशंसा और समर्पित प्रेम से भरा है।
शब्द “जय अम्बे गौरी” को हम “जय माँ गौरी” के रूप में समझते हैं, यहाँ पर गौरी देवी एक रूप है देवी पार्वती का। “मैया जय मंगल मूर्ति” का अर्थ हो सकता है “आशीर्वादित और आनंदमय रूप का आभार।”
ये गाना खूबसूरत तारिके से देवी के गुण और गुनाहों को उजागर करता है, उसके बाल, सुंदरता और दया के गुनाहों को उजागर करता है। ये उसकी सुरक्षा और मुश्किलें आने पर उसकी मार्गदर्शन की प्रार्थना करती है और उसकी विजय और दिव्य स्वभाव को प्रशस्त करती है।
आख़िर में, “जय अम्बे गौरी, मैया जय मंगल मूर्ति” देवी अम्बा के प्रति भक्ति और सम्मान का दिल से व्यक्त है, जिसे एक समृद्ध और समन्वयपूर्ण जीवन के लिए उसके आशीर्वाद और कृपा को बुलाया जाता है।
यह आरती नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से गायी जाती है. यह आरती देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करती है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करती है.
नवरात्रि Special | जय अम्बे गौरी | Jai Ambe Gauri Aarti
जय अंबे गौरी, मैया जय मंगल मूर्ति, मैया जय आनंद करनी
तुमको निसदीन ध्यवट, हर ब्रह्मा सिवरी,
जय अंबे गौरी……
जय अंबे गौरी, मैया जय मंगल मूर्ति, मैया जय आनंद करनी
तुमको निसदीन ध्यवट, हर ब्रह्मा सिवरी,
जय अंबे गौरी………
माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को, मैया टीको मृगमद को
उज्जवल से दौ नैना, निर्मल से दौ नैना चंद्रा बदन निको
जय अंबे गौरी……
कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजे रक्तांबर राजे
रखत पुष्प गाल माला, लाल पुष्प गाल माला कंतन पर साजे
जय अंबे गौरी….
कहरी वहाँ रजत, खराग खपर धरी, मैया खराग खपर धरी,
सुर नर मुनि-जान सेवत, सुर नर मुनि-जान सेवत सुर नर मुनि-जान सेवत तिनके दुख हारी,
जय अंबे गौरी….
कानन कुंडल सोभित, नासगरे मोती मैया नासगरे मोती
कोटिक चंद्रा दिवाकर, कोटिक चंद्रा प्रभाकर, राजत सम ज्योति
जय अंबे गौरी….
सुंभा-निसुमभा विडारे, महिससुर घाटी, मैया महिससुर घाटी,
धूम्रा विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निषिदीन मदमाती,
जय अंबे गौरी….
चौसत योगिनी गावात, नृत्या करात भैरू मैया नृत्या करात भैरू
बाजत ताल मृदनगा, बाजत ढोल मृदनगा, और बाजत डमरू
जय अंबे गौरी….
भुजा चार आती सोभित, खराग खपर धरी, मैया खराग खपर धरी,
मनवांछित फल पावत, मॅन इच्छा फल पावत, सेवत नर नारी,
जय अंबे गौरी ….
कंचन ताल विराजत, अगर केपर बाटी, मैया अगर केपर बाटी,
श्री माल केतु मेी विराजत, नगकोटी मेी विराजत, कोटि रतन ज्योति,
जय अंबे गौरी….
या अंबे जी की आरती, जो कोई नर गावे, मैया जो कोई नर गावे,
कहत सिवानंद स्वामी, कहत सिवानंद स्वामी, मैया सुख-संपत्ति पावे,
जय अंबे गौरी….
जय अंबे गौरी, मैया जय मंगल मूर्ति, मैया जय आनंद करनी
तुमको निसदीन ध्यवट, तुमको निसदीन ध्यवट, हर ब्रह्मा सिवरी,
जय अंबे गौरी….