Electoral Bonds Scheme: क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड? कब हुई थी शुरुआत? सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई इस पर रोक

5/5 - (7 votes)

चुनावी बॉन्ड्स की केवल 15 दिनों की मान्यता होती है, जिसके अंतर्गत इसका उपयोग केवल जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया जा सकता है।

इसके माध्यम से केवल उन राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है, जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिए दिए गए वोटों में से कम से कम एक प्रतिशत का हिस्सा हासिल किया हो।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है? (Electoral Bonds Kya Hai)

2017 में, भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा की थी, और इसे 29 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू किया गया। आसान शब्दों में, इसे समझने के लिए हम इसे एक वित्तीय साधन के रूप में देख सकते हैं जिसका उपयोग राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जा सकता है।

यह एक वचनपत्र की तरह है जिसे भारतीय नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चयनित शाखाओं से खरीद सकता है, और उसे अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान करने का अधिकार होता है।

इलेक्टोरल बॉन्ड किसी भी व्यक्ति द्वारा खरीदा जा सकता है जो एक ऐसे बैंक खाता धारित करता है, जिसकी केवाईसी जानकारी उपलब्ध है। इस बॉन्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता है।

इस योजना के अनुसार, व्यक्ति भारतीय स्टेट बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं से 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपये में से किसी भी मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है।

चुनावी बॉन्ड्स की अवधि केवल 15 दिन होती है, जिसमें इसका उपयोग सिर्फ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए हो सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से केवल उन राजनीतिक दलों को चंदा दिया जा सकता है, जिन्होंने पिछले सामान्य चुनावों में लोकसभा या विधानसभा के लिए दिए गए वोटों का कम से कम एक प्रतिशत हासिल किया हो।

इस योजना के तहत, चुनावी बॉन्ड्स जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के महीनों में 10 दिनों के लिए उपलब्ध किए जाते हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के वर्ष में, केंद्र सरकार द्वारा 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि के दौरान भी जारी किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: Seekho App क्या है? Seekho App का उपयोग कैसे करें?

कब और क्यों की गई थी शुरुआत?

2017 में, केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को फाइनेंस बिल के माध्यम से संसद में पेश किया था। संसद के पारित होने के बाद, 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसके माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा मिलता है।

चुनावी बॉन्ड कैसे काम करते हैं? (How it works)

इलेक्टोरल बॉन्ड का उपयोग करना काफी सरल है। इन बॉन्ड्स को 1,000 रुपए के मल्टीपल में जारी किया जाता है, जैसे कि 1,000, ₹10,000, ₹100,000 और ₹1 करोड़ की रेंज में। इन्हें आपको एसबीआई की कुछ शाखाओं पर उपलब्ध किया जाता है।

यह बॉन्ड खरीदने के लिए कोई भी डोनर, जिनका KYC- COMPLIANT अकाउंट हो, इस्तेमाल कर सकता है, और बाद में इन्हें किसी भी राजनीतिक पार्टी को डोनेट किया जा सकता है। इसके बाद, प्राप्तकर्ता इसे कैश में कन्वर्ट करवा सकता है। इसे कैश कराने के लिए, पार्टी के सत्यापित अकाउंट का उपयोग किया जाता है। इलेक्टोरल बॉन्ड की मान्यता भी केवल 15 दिनों के लिए है।

चुनावी बॉन्ड को रद्द करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि चुनावी बॉन्ड योजना, अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना है और इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा।

इसे भी पढ़े: रिपीटर क्या है? रिपीटर कैसे काम करता है|

इलेक्टोरल बॉन्ड किसे मिलता है? (How to Get Electoral Bonds)

देश में जितने भी पंजीकृत राजनीतिक दल हैं, उन्हें यह बॉन्ड मिलता है, लेकिन इसके लिए एक शर्त है कि उस पार्टी को पिछले आम चुनाव में कम-से-कम एक फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले हों। इस प्रकार की पंजीकृत पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा प्राप्त करने का हक होता है।

सरकार के अनुसार, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से ब्लैक मनी पर निगरानी बनेगी और चुनाव में चंदे की रकम का विवेचन होगा। इससे चुनावी वित्तपोषण में सुधार होगा।’ केंद्र सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि चुनावी बॉन्ड योजना पारदर्शी है।

चुनावी बॉन्ड योजना कब प्रारंभ हुई थी? (When it starts)

चुनावी बॉन्ड योजना भारत में 2017 में प्रारंभ हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य चुनावी निधियों को स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ प्राप्त करना था ताकि चुनावी प्रक्रिया में धन का सही उपयोग हो सके और नागरिकों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में मदद कर सके। यह योजना उन लोगों के लिए थी जो चुनावी निधियों में साझेदारी करना चाहते थे और इसके माध्यम से वे चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहते थे।

चुनावी बॉन्ड योजना के अंतर्गत, लोग नागरिक सौजन्य बॉन्ड्स (वाणिज्यिक बॉन्ड्स) खरीद सकते थे जिन्हें वे चुनावी प्रक्रिया में उपयोग करने के लिए चुनावी प्रधिकृत दलों या उम्मीदवारों को दे सकते थे।

ये बॉन्ड्स एक स्वच्छ और निष्कलंक वित्तीय तंत्र को सुनिश्चित करने का प्रयास था और इसके माध्यम से नागरिकों को चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने का एक नया तरीका प्रदान करने का प्रयास था।

चुनावी बॉन्ड योजना ने चुनावी निधियों की स्रोत वित्तीय सफाई और पारदर्शिता के साथ प्रबंधित करने का प्रयास किया है और इसके माध्यम से नागरिकों को चुनावी प्रक्रिया में उपयोगकर्ता बनाने का कारगर तरीका प्रदान किया है।

इसे भी पढ़े: मेवाड़ का इतिहास | Mewar Ka Itihas in Hindi

चुनावी बॉन्ड कैसे काम करता है? (How Electoral Bonds Works)

चुनावी बॉन्ड एक विशेष प्रकार का वित्तीय योजना है जो चुनावी निधियों को सुनिष्ठित करने के लिए बनाई गई है। इसका कार्यक्षेत्र चुनावी प्रक्रिया में पैसे के सही और साफ़ उपयोग की सुनिश्चितता को बढ़ावा देना है ताकि राजनीतिक दल और उम्मीदवार नागरिकों के समर्थन को साधने के लिए उपयोग किए जा सकें, बिना भ्रष्टाचार और वित्तीय दुरुपयोग के।

How Electoral Bonds Works

चुनावी बॉन्ड्स को खरीदने का प्रक्रिया सरल होता है। नागरिक विभिन्न राशियों में बॉन्ड्स खरीदकर उन्हें अपने चयनित चुनावी दल या उम्मीदवार को समर्थन में दे सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, नागरिकों को स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि उनके द्वारा दिए गए धन का सीधा उपयोग केवल चुनावी कार्यों या उम्मीदवारों के लिए होगा।

इस योजना के तहत, चुनावी बॉन्ड की राशि एक विशेष खाते में जमा की जाती है, और इसे सिर्फ चुनाव से पहले या उसके संबंधित कार्यों के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।

यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि नागरिकों द्वारा दिए गए धन का विशेष उपयोग केवल चुनावी उद्देश्यों के लिए हो, जिससे वित्तीय सफाई और पारदर्शिता को बनाए रखा जा सके।

इसके माध्यम से, नागरिकों को सक्रियता के साथ राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का एक नया तरीका प्रदान किया जाता है, जो भ्रष्टाचार और वित्तीय दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए सकारात्मक प्रयास है।

भारत में चुनावी बांड किसने शुरू किया था?

भारत में चुनावी बांड का प्रचलन उस समय शुरू हुआ जब चुनावी प्रचार और अभियानों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे अपनाया। इसका प्रयोग चुनावी अभियान के दौरान समर्थकों को आकर्षित करने, अपने संदेश को प्रसारित करने और वोटर्स को प्रेरित करने के लिए किया जाता है।

चुनावी बांडों के माध्यम से राजनीतिक दल अपनी नीतियों और विचारों को सामान्य जनता तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। ये बांड आमतौर पर राजनीतिक गीतों, भाषणों, और प्रस्तुतियों को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं।

पहले चुनावी बांडों का प्रयोग मुख्य रूप से राजनीतिक सभाओं और जनसभाओं में होता था। लेकिन धीरे-धीरे इनका प्रयोग चुनावी रैलियों, सड़कों पर प्रदर्शनों, और अन्य सामाजिक आयोजनों में भी होने लगा।

चुनावी बांडों का प्रचलन विभिन्न पार्टियों द्वारा होता है, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों के सामने अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए इनका सहारा लेते हैं। यह एक प्रभावी और चर्चित तकनीक है जो उम्मीदवारों को चुनावी अभियान के दौरान जनता के बीच ज्यादा प्रसिद्धता और समर्थन प्राप्त करने में मदद करती है।

चुनावी बांडों का प्रयोग भारतीय राजनीति में विभिन्न स्तरों पर होता है। यह लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, नगर पालिका चुनाव और अन्य स्थानीय चुनावों में भी देखा जा सकता है।

चुनावी बांडों के माध्यम से राजनीतिक दल अपनी पार्टी की पहचान बढ़ाते हैं और अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली तकनीक है जो चुनावी प्रक्रिया में भूमिका निभाती है।

चुनावी बांडों का प्रयोग सीमित सीमाओं में रहता है और इसे नियंत्रित किया जाता है ताकि यह लोकतंत्र में न्यायसंगत रूप से उपयोग किया जा सके। इसे जनता के मनोरंजन का एक माध्यम भी माना जाता है जो चुनावी अभियान को रंगीन और रोचक बनाता है।

यह भी पढ़ें: Earn Karo App क्या है? EarnKaro App से पैसे कैसे कमाए?

चुनावी बॉन्ड किसे खरीदने की अनुमति है?

चुनावी बॉन्ड की खरीद की अनुमति भारतीय नागरिकों को होती है, जो चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहते हैं और राजनीतिक दल या उम्मीदवारों को वित्तीय समर्थन प्रदान करना चाहते हैं।

यह एक सामाजिक योजना है जो नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में अधिक सहयोग देने का उद्देश्य रखती है और इसके माध्यम से लोगों को राजनीतिक उद्देश्यों में सक्रिय रूप से शामिल होने का एक और तरीका प्रदान करती है।

चुनावी बॉन्ड्स की खरीद के लिए नागरिकों को निर्दिष्ट राशियों में बॉन्ड खरीदने की अनुमति होती है और इसे चुनावी प्रक्रिया में सहायक बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

यह एक सुरक्षित और पारदर्शी तरीका है जिससे नागरिक चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं और उनके द्वारा दिए गए धन का सीधा उपयोग केवल चुनावी कार्यों के लिए हो।

चुनावी बॉन्ड्स की खरीद करने का यह उपाय एक स्वच्छता और पारदर्शिता की दिशा में एक कदम है, जिससे भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग को कम किया जा सकता है।

इसके माध्यम से, नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में वित्तीय सहयोग प्रदान करने का एक नया और सुरक्षित तरीका मिलता है, जिससे वे सीधे तौर पर और सही रूप से चुनावी प्रक्रिया में योगदान कर सकते हैं।

चुनावी बॉन्ड की मौद्रिक मूल्य क्या है?

चुनावी बॉन्ड का मौद्रिक मूल्य उस राशि को दर्शाता है जिसके लिए यह खरीदा गया है और यह विभिन्न राशियों में उपलब्ध होता है।

चुनावी बॉन्ड्स का मौद्रिक मूल्य निर्धारित करने के लिए सामान्यत: एक निर्दिष्ट मूल्य होता है, जिसे नागरिक खरीद कर सकते हैं। इसका मौद्रिक मूल्य एक स्थिर राशि होती है, जिससे नागरिक अपने समर्थन का प्रत्यक्ष संकेत प्रदान कर सकते हैं।

चुनावी बॉन्ड का मौद्रिक मूल्य बदलता नहीं है और यह स्थिर रहता है, जिससे नागरिक अपने द्वारा खरीदे गए बॉन्ड्स की वास्तविक मौद्रिक मूल्य को समझ सकते हैं।

इसमें नागरिकों को अच्छी तरह से सूचित किया जाता है कि उनके द्वारा दिए गए धन का सही उपयोग चुनावी प्रक्रिया में हो रहा है और उनका समर्थन सही स्थान पर पहुँच रहा है।

चुनावी बॉन्ड्स का मौद्रिक मूल्य स्थानीय मुद्राओं में नहीं बदलता है और इसमें कोई वृद्धि या कमी नहीं होती है। यह एक निर्धारित मौद्रिक मूल्य पर खरीदा जा सकता है और नागरिक इसे चुनावी प्रक्रिया में सहायक रूप से उपयोग कर सकते हैं, जिससे वित्तीय सफाई और पारदर्शिता के साथ राजनीतिक दल या उम्मीदवारों को समर्थन प्रदान कर सकते हैं।

चुनावी बॉन्ड का उपयोग केवल चुनावी खाता में ही हो सकता है?

जी हां, चुनावी बॉन्ड का उपयोग केवल चुनावी खाता में ही हो सकता है। यह एक विशेष वित्तीय योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में सफाई, पारदर्शिता और वित्तीय संरचना को सुनिश्चित करना है।

चुनावी बॉन्ड को खरीदकर, नागरिक एक निर्दिष्ट राशि को चुनावी खाता में जमा करते हैं, और यह राशि केवल चुनाव से पहले और चुनाव से संबंधित कार्यों के लिए ही उपयोग की जा सकती है।

चुनावी बॉन्ड की खासियत यह है कि इसका मौद्रिक मूल्य स्थिर रहता है और यह सीधे रूप से निर्दिष्ट खाते में जमा किया जाता है, जिससे इसे शुद्ध और विश्वसनीय बनाए रखा जा सकता है।

इससे नहीं सिर्फ वित्तीय सफाई होती है, बल्कि यह नागरिकों को एक सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का एक नया तरीका प्रदान करता है।

इसके अलावा, चुनावी बॉन्ड की राशि को सीधे चुनाव से पहले चुनावी खाते में जमा करना नागरिकों को उनके द्वारा चयनित चुनावी दल या उम्मीदवार के समर्थन के रूप में स्पष्ट संकेत प्रदान करता है, जिससे सार्वजनिक स्तर पर स्थानीय लोगों के चयन को समर्थित करता है।

चुनावी बॉन्डों का स्थानांतरण कैसे होता है?

चुनावी बॉन्डों का स्थानांतरण एक स्थापित वित्तीय प्रक्रिया के माध्यम से होता है जिसे चुनाव आयोग द्वारा प्रबंधित किया जाता है। यह प्रक्रिया नागरिकों को चुनावी बॉन्ड खरीदने और उन्हें अपने चयनित चुनावी दल या उम्मीदवार को समर्थन में देने के लिए स्थापित की जाती है।

स्थानांतरण की प्रक्रिया में, नागरिक चुनावी बॉन्ड्स की निर्धारित राशि को उनके चयनित चुनावी दल या उम्मीदवार के खाते में भेज सकते हैं। इसे सीधे चुनावी खाता कहा जाता है और यह एक सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से समर्थन प्रदान करने के लिए उपयोग होता है।

स्थानांतरण प्रक्रिया में नागरिकों को विशिष्ट निर्देश दिए जाते हैं जिन्हें वे ध्यानपूर्वक फॉलो करते हैं ताकि उनका सहायक रूप से समर्थन सही स्थान पर पहुँच सके। चुनावी बॉन्डों का स्थानांतरण सुनिश्चित करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि नागरिक वित्तीय योजना के निर्देशों का सख्ती से पालन करें ताकि उनका समर्थन सही समय पर और सही स्थान पर पहुँचे।

यह भी पढ़ें: 30,000 रुपये के अंदर कौन-कौन से डेल लैपटॉप मॉडल उपलब्ध हैं

चुनावी बॉन्डों का समय सीमा क्या है?

चुनावी बॉन्डों का समय सीमा चुनाव की तारीखों के साथ संबंधित होता है और इसका मुख्य उद्देश्य चुनाव से पहले और चुनाव से संबंधित कार्यों के लिए ही उपयोग किया जाता है।

चुनाव की तारीखों के बीच, चुनावी बॉन्डों की खरीद की प्रक्रिया शुरू होती है और यह समय सीमा चुनाव से पहले समाप्त हो जाती है।

चुनावी बॉन्डों की खरीद का समय सीमा चुनाव आयोग या संबंधित प्राधिकृत्य द्वारा निर्धारित किया जाता है और यह अनुसूचित रूप से तय किया जाता है ताकि विभिन्न चुनावों के लिए एक निर्दिष्ट समय सीमा हो। चुनावी बॉन्ड्स की खरीद की प्रक्रिया इस समय सीमा के अंत में समाप्त होती है और उसके बाद नागरिक और उम्मीदवार इस योजना का लाभ उठाने के लिए योजना बना नहीं सकते हैं।

चुनावी बॉन्डों का समय सीमा सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रिया में सफाई और पारदर्शिता को बनाए रखने का एक माध्यम है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि चुनावी बॉन्ड केवल चुनाव से पहले और चुनाव से संबंधित कार्यों के लिए ही उपयोग होते हैं और इसे सही समय पर प्रदान करने के लिए निर्देशित किया जाता है।

चुनावी बॉन्ड योजना के लाभ क्या हैं?

चुनावी बॉन्ड योजना के कई लाभ हैं जो राजनीतिक प्रक्रिया में सफाई, पारदर्शिता और वित्तीय सफलता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। पहले तो, इस योजना के माध्यम से नागरिकों को सीधे तौर पर और सुरक्षित रूप से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलता है, जिससे सामाजिक भागीदारी में वृद्धि होती है।

चुनावी बॉन्ड्स का उपयोग करके नागरिक राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रियता दिखा सकते हैं और उनका सहायक रूप से समर्थन प्रदान करने में सक्षम होते हैं, जिससे स्थानीय लोगों के विचारों और आवश्यकताओं को बेहतर रूप से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

इस योजना के माध्यम से, वित्तीय सफाई बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि चुनावी बॉन्ड्स का उपयोग केवल चुनाव से पहले और उससे संबंधित कार्यों के लिए होता है, और इससे भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग को रोका जा सकता है।

चुनावी बॉन्ड योजना से यह भी सुनिश्चित होता है कि नागरिक द्वारा दिए गए धन का सीधा उपयोग केवल चुनाव से पहले और उससे संबंधित कार्यों के लिए होता है, जिससे राजनीतिक संरचना में पारदर्शिता बनी रहती है। इससे सामाजिक सामंजस्य और वित्तीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करने का एक प्रयास है जो राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।

यह भी पढ़ें:

Leave a Comment